एक ऐसा इंसान जो हर धरम का बहुत अच्छी तरह से जान कार था और उसके पास एक नौकर था
नौकर भी ईमानदार सरीफ था एक दिन नौकर ने मालिक से पूछा के इस्वर गरीबों को और गरीबी
केउ देता है तो मालिक ने कहा ठीक है तुम तो मेरा ईमानदार और प्यारा नौकर है मगर मई तुमेह
नौकर ही नहीं बल्कि दोस्त भी समझता हूँ इसलिए मै तुमेह तुम्हारे सवाल का जवाब आज नहीं
दूंगा कल जब जंगल के तरफ किसी काम के लिए जैवंगे तो हमलोगोंका सफर तो एक हफ्ते का है
उसी दरमियान तुमेह उस सवाल का जवाब देंगे तो दूसरे दिन जब वह दोनों सफर में निकला तोह
साथ में खाने पिने का सामान नहीं लिया खली हाथ चले गए एक दिन सफर करते करते जब दोनों
को भूख प्यास लगी तो एक जंगल में रुका और मालिक ने नौकर से कहा भूख प्यास तो लगा होगा
कुछ खाने पिने का इंतजाम करना चाहिए तो नौकर ने देखा दूर में अनाज का खेती था जो धुप से सुख कर
निचे जमीं पर गिरा हुवा था उसी अनाज को इकठ्ठा किया और जंगल में फालोका बगीचा था जो आंधी से
फल टूट कर निचे गिरा हवा था उसी फल को जमा किया फिर देखा के एक कुवा है जो कुवां का दीवार टुटा
हुवा है तो क्याथा नौकर ने टुटा कुवां का ईटा जमा किया और चूल्हा बनाया किसी तरह खाना बनाया
तब मालिक ने कहा भाई जो अनाज पौधे से टूट कर जमीं में गिरता उसे केउ लाये जो फल पैर के टहनी से
टूटकर निचा गिरा था उसे भी केउन उठाया जो कुवां टुटा था उसे और केयू तोरा उसे जोड़ना चाहिए था न
क्या तुम्हारी इंसानियत यही कहती है नौकर ने कहा मालिक माफ़ी माफ़ी माफ़ी मुझे जवाब मिलगया
दोस्तों अगर मेरी कहनी आपको अच्छी लगी तो आगे सेयर करना
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